झारखण्ड का सच : भीषण गर्मी में तपती सड़क पर नंगे पांव चलकर स्कूल से घर लौटते हैं बच्चे

विशेष संवाददाता द्वारा
पूर्वी सिंहभूम: कभी आपने सोचा है कि इस प्रचंड गर्मी में अगर आपको नंगे पांव सड़क पर चलने को कहा जाए तो आपको कितनी तकलीफ होगी, शायद यह सोच कर ही आपका मन सिहर उठेगा. लेकिन, झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में ग्रामीण क्षेत्र के स्कूली बच्चे हर दिन इसी तकलीफ का सामना करते हुए अपने स्कूल जाने को मजबूर हैं. दरअसल पूर्वी सिंहभूम के नक्सल फोकस एरिया गुड़ाबांधा ग्रामीण इलाके में बच्चे सुबह 6:00 बजे खाली पैर स्कूल तो पहुंच जाते हैं लेकिन छुट्टी के समय कड़ी धूप में उन्हें नंगे पांव सड़क पर पैदल चलकर घर पहुंचना होता है. संसाधनों के अभाव की वजह से भीषण गर्मी में नंगे पांव चलने से कई बार बच्चों की तबीयत भी बिगड़ जाती है. लेकिन, फिर भी किसी सरकारी बाबू, अधिकारी या मंत्री ने इन बच्चों की तकलीफ दूर करने का प्रयास नहीं किया

 इस मामले को लेकर वेंडर ने कहा कि अब तक राशि नहीं मिल पायी है इसलिए मजबूरी में हमलोग पोशाक और जूते नहीं भेज पाये हैं. अब ऐसे में हर दिन सैंकड़ों बच्चे बिना चप्पल-जूते के ही स्कूल जाते हैं, लेकिन उनकी खबर लेने वाला कोई नहीं है.

 

झारखंड में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. लेकिन, इसके बावजूद पूर्वी सिंहभूम के ग्रामीण इलाके के स्कूली बच्चे धधकती जमीन पर नंगे पांव चलकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. दरअसल इन बच्चों के लिए कल्याण विभाग से हर साल पोशाक और जूते के पैसे दिए जाते हैं लेकिन इस साल अब तक बच्चों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है.
सबसे अधिक परेशानी तो कक्षा 1 और 2 के छोटे-छोटे बच्चों को हो रही है. इनमें लड़कियां भी शामिल हैं. जूता नहीं होने की वजह से दोपहर में भी सड़क पर इन्हें नंगे पांव ही चलना पड़ता है.

 हालांकि कुछ बच्चे किसी तरह जुगाड़ कर चप्पल पहनकर स्कूल आते हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए पोशाक और जूते की राशि दी जाती है तो वह अब तक क्यों नहीं मिली?

इन बच्चों की स्थिति को देखकर किसी का भी मन सिहर उठ जाता है होगा लेकिन फिर भी इन बच्चों की मदद के लिए कोई भी सरकारी प्रतिनिधि अब तक सामने नहीं आया है. हालांकि, कुछ बच्चे किसी तरह हवाई चप्पल का जुगाड़ कर लेते हैं.
इस मामले पर भालकी मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामचंद्र गिरी का कहना है कि अभी तक कल्याण विभाग से ड्रेस के लिए रुपये नहीं भेजे गये हैं. रूपये वेंडर के पास भेजे जाते है जो बच्चों को ड्रेस और जूता मुहैया कराते हैं.
हालांकि कुछ बच्चे किसी तरह जुगाड़ कर चप्पल पहनकर स्कूल आते हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए पोशाक और जूते की राशि दी जाती है तो वह अब तक क्यों नहीं मिली?
इस मामले को लेकर वेंडर ने कहा कि अब तक राशि नहीं मिल पायी है इसलिए मजबूरी में हमलोग पोशाक और जूते नहीं भेज पाये हैं. अब ऐसे में हर दिन सैंकड़ों बच्चे बिना चप्पल-जूते के ही स्कूल जाते हैं, लेकिन उनकी खबर लेने वाला कोई नहीं है.
बच्चों के अभिभावक जादू नाथ मुर्मू और शिव मुर्मू का कहना है कि दर्जनों बच्चों हर दिन नंगे पांव स्कूल जाने को मजबूर हैं. यह देखकर बहुत तकलीफ होती है. हमारी सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द पोशाक और जूते की राशि भिजवाई जाए.

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